अन्धेरा है तो क्या, उजाला होगा कल,
ऐसे मन को ना मार, तू चलता चल।
मुश्किले तो है, पर तू कहा निर्बल्,
ऐसे हिम्मत ना हार, बस तू चलता चल।
माना अभी जीवन कि शाम है,
चलते रहना तेरा काम है ।
ये दुख भरा वक्त आखिर बीत ही जायेगा,
फिर एक सवेरा, एक नया उजाला लाएगा !
तेरी मंज़िल का भी इक रस्ता होगा,
माना अभी तुझपे कोई हसता होगा,
जो तेज हवा से डर गया,
उस परिंदे की उड़ान ही क्या!
जो थक कर तू बैठ गया,
तेरे सपनो में फिर जान ही क्या!
कैसा भी वक़्त हो ऐठना नही!
किस्मत के सहारे बैठना नहीं,
हाँ दुनिया में कुछ लोग,
अलग किस्मत लेकर आते है,
पर क्या कहने उनके जो,
खुद अपनी किस्मत बनाते है!
सितारों से चमकना सिख,
तू फूलों सा महकना सिख,
जोश अंदर तू ऐसा भर,
याद रखे ज़माना कुछ ऐसा कर!