थक कर जब घर को चला,
ना घर पे जब कोई मिला !
अधूरे मन से रोटी बनाई,
फिर से माँ की याद आई !!
अपनों से मेरी दूरी ये,
कुछ कमाने की मजबूरी ये !
सपनो के पीछे भागते,
अब हम रातो को जागते !!
कुछ ऐसी भी तो रातें थी,
बचपन की वो बातें थी !
खुद भूखी रह खिलाती थी माँ,
खुद जाग हमें सुलाती थी माँ !!
माँ तो बस माँ है,
ऐसा कोई रिश्ता कहाँ !
दो पल भी माँ रुठे अगर,
लगता ये अधूरा जहाँ !!
ऐ खुदा बस इतनी दुआ,
मेरी माँ को हर खुशी मिले !
अगर कांटे हो मेरे पाँव लगे,
माँ के पैरों में फूल खिले !
मेरी माँ के पैरों में फूल खिले !!
**** Dedicated to all माँ – Happy Mother’s Day ****